आप जब से जुदा हो गए |
ख़ाब भी गुमशुदा हो गए ||
जग से नाम -ए -वफ़ा मिट गया |
जब से तुम बेवफ़ा हो गए ||
हमने तुम को ख़ुदा क्या कहा |
तुम तो सचमुच ख़ुदा हो गए ||
रोज़ दुशवारियाँ बढ़ रही |
चैन के दिन हवा हो गए ||
आज के इस नए दौर में |
लोग अब क्या से क्या हो गए ||
सब के नुस्ख़े ही बाज़ार में |
दर्द -ए -दिल की दवा हो गए ||
डोर के बिन हो जैसे पतंग |
हम तुम्हारे बिना हो गए ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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