Monday, 5 December 2011

आप जब से


आप   जब   से   जुदा   हो   गए |
ख़ाब   भी   गुमशुदा    हो   गए ||

जग से नाम -ए -वफ़ा मिट गया |
जब   से  तुम   बेवफ़ा   हो  गए ||

हमने  तुम  को  ख़ुदा  क्या  कहा |
तुम  तो  सचमुच  ख़ुदा  हो  गए ||

रोज़    दुशवारियाँ     बढ़    रही |
चैन   के   दिन   हवा   हो   गए ||

आज   के   इस   नए  दौर   में | 
लोग अब क्या से क्या हो गए ||

सब   के  नुस्ख़े  ही  बाज़ार  में |
दर्द -ए -दिल  की  दवा हो गए ||

डोर  के  बिन  हो  जैसे  पतंग |
हम  तुम्हारे   बिना   हो  गए ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी 

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