Wednesday, 7 December 2011

सदा हालात से


सदा  हालात  से  जम  कर  लड़ा  हूँ |
अभी  भी  दूर  मंज़िल  से  खडा  हूँ ||

तुम्हारे  सामने  मैं   हार   कर  भी  |
समझता  हूँ  हिमालय  से  बड़ा  हूँ ||

हवा  ने  लाख  रुख़  बदले  हों  चाहे |
मगर  मैं  भी  इरादों  पर   अड़ा  हूँ ||

नहीं  आते  वो  जब  तक  पास  मेरे |
उखड्ती  सांस  को   थामे   पड़ा   हूँ ||

अभी तक वो किया जो मन में ठाना |
यूँ  भी  मैं  आदतन   ज़िद्दी  बड़ा  हूँ  ||

डा० सुरेन्द्र  सैनी    

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